विवरण
डाउनलोड Docx
और पढो
विभिन्न देशों में ईश्वर या यहां तक कि बुद्ध के लिए अलग-अलग शब्दावली का प्रयोग होता है। “बुद्ध” एक संस्कृत नाम है और इसका उच्चारण “बुद्ध” होता है। लेकिन औलक (वियतनाम) में, वे हिर्म फाट, या बट, या थू टुन,या दिएउ नगु, वो थूओंग सु, वो थुओंग सी आदि कहते हैं। और अलग-अलग देशों में, हमारे अलग-अलग धर्म हैं, और वे “ईश्वर” को अलग-अलग नाम से पुकारते हैं। औलक (वियतनाम) में भी हमारे पास “ईश्वर” है। जब वह (थिच नहत तु) कहता है कि कोई ईश्वर नहीं है, तो वह वास्तव में सभी औलासी (वियतनामी) श्रद्धालुओं की निंदा करता है, तथा संकेत देते हैं कि वे सभी मूर्ख हैं क्योंकि वे ईश्वर पर विश्वास करते हैं, जो होते नहीं! उस, थिच नहत तु, के अनुसार।हर दिन, औलासी (वियतनामी) लोग भगवान से प्रार्थना करते हैं, स्वर्ग से प्रार्थना करते हैं। यहां तक कि वे भगवान और बुद्ध को भी एक साथ जोड़ते हैं। ट्रोई फाट का अर्थ है "बुद्ध" या "परमेश्वर" है। "सिन फट ट्रोई फू हो" का अर्थ है "बुद्ध और परमेश्वर, कृपया हमारी मदद करें।" वे हमेशा कहते हैं, “ईश्वर और बुद्ध से प्रार्थना करो।” लय त्रॉय, लय फत। फू हो। “बुद्ध से प्रार्थना करो, ईश्वर से प्रार्थना करो। कृपया हमारी रक्षा करें।” कुछ ऐसा ही, हर समय। औलक (वियतनाम) में वे इसी प्रकार प्रार्थना करते हैं, तथा भगवान और बुद्ध की स्तुति करते हैं। लेकिन, निःसंदेह, आपको हमेशा परमेश्वर को पुकारने की आवश्यकता नहीं है। बुद्ध परमेश्वर के प्रतिनिधि हैं, इसलिए आप गुरु, बुद्ध की भी पूजा कर सकते हैं।बुद्ध का अर्थ है मास्टर, गुरु। और फिर, बेशक, वे वैसे भी एक साथ जुड़े हुए हैं। यदि गुरु वास्तविक और महान हैं, तो वह परमेश्वर के साथ एक ही होते हैं। अंदर। इसका मतलब यह नहीं कि वे खो गए हैं। अंदर, वे एक साथ एक शक्ति में हैं, महान सार्वभौमिक शक्ति की एक शक्ति। लेकिन बाहर, वे अभी भी एक व्यक्ति हैं, यहां तक कि स्वर्ग में भी। जैसे अमिताभ बुद्ध ईश्वरत्व में विलीन नहीं हो जाते, वे फिर भी अमिताभ बुद्ध ही हैं। और भगवान भगवान है।बौद्ध धर्म में बुद्ध ने कहा है कि आपको स्वयं पर भरोसा करना होगा। “मैं केवल चंद्रमा की ओर इशारा करती हुई उंगली हूँ, लेकिन मैं चंद्रमा नहीं हूँ। तो आप मेरी उंगली का अनुसरण करो, चंद्रमा को ढूंढो, और चंद्रमा को देखो।” अर्थात्, उन्होंने लोगों को सिखाया कि कैसे आत्मज्ञान प्राप्त करें और आत्मज्ञान को ही लक्ष्य समझें। लेकिन यदि आप अभ्यास नहीं करते तो वह आपको पूर्ण ज्ञान नहीं दे सकते। आपको अपना स्वामी स्वयं बनना होगा। यह तो पक्का है।सभी गुरुएं यही सिखाते हैं। वे रास्ता बताते हैं, लेकिन आपको वहां चलकर जाना पड़ता है। खैर, बेशक, कभी-कभी जब आप किसी कारण से बीमार और थके हुए होते हैं, तो गुरु, बुद्ध आपको उठाते हैं। इसका मतलब है कि उस समय वे आपको अधिक अनुग्रह देते हैं, अधिक शक्ति देते हैं, जब तक कि आप पुनः स्वस्थ नहीं हो जाते। क्योंकि वे आपकी सहायता करने, आपको बचाने के लिए परमेश्वर का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। लेकिन आपको उनका अनुसरण करना होगा, उनके साथ चलना होगा, उनकी शिक्षा के साथ चलना होगा।बेशक, उनका कहीं भी व्यक्तिगत रूप से अनुसरण करना पसंद नहीं है। आप ऐसा भी कर सकते हैं. लेकिन, बेशक, पुराने समय में यह अधिक महत्वपूर्ण था क्योंकि हमारे पास कोई टेलीफोन, टेलीविजन या ऐसा कुछ भी नहीं था, इसलिए जो भी कर सकता था, वे बुद्ध के बगल में रहते थे, भिक्षु या भिक्षुणी बन जाते थे, ताकि हर दिन सीधे उनकी शिक्षाएं प्राप्त कर सकें। जबकि यदि आप दूर रहते हैं तो यह कठिन है। और यदि भिक्षु और भिक्षुणियाँ बुद्ध के साथ नहीं भी रहते थे, तो भी वे अक्सर बुद्ध से मिलने आते थे। या फिर कोई रिट्रीट थी, और वे आये और बुद्ध से अपनी आध्यात्मिक प्रगति के बारे में पूछा, उदाहरण के लिए इस तरह की बातें। और जो साधारण व्यक्ति दूर रहते थे, वे भी यथासंभव उनके दर्शन के लिए आने का प्रयास करते थे। यहां तक कि बुद्ध के पिता भी शाक्यमुनि बुद्ध से मिलने आते रहे। कोई भी बुद्ध एक जैसा है। उनके साथ पहले भी यही हुआ था।और अब हमारे पास अधिक उन्नत तकनीक है जिससे हम किसी भी महान मास्टर को दूर से देख सकते हैं, जो अच्छी बात है। तो बुद्ध ने कहा, "आप अपने आप पर भरोसा करो। आपको अभ्यास करना होगा।" निःसंदेह, सभी गुरुऐं आपको यह सिखाएंगे। यह बहुत तार्किक है. आपके देश का सबसे महान अंग्रेजी शिक्षक भी आपको वह सारा अंग्रेजी ज्ञान, अपना पूरा अंग्रेजी उच्चारण या प्रतिभा नहीं दे सकता, यदि आप उसका अनुसरण नहीं करते - अर्थात, यदि आप उनकी शिक्षा का अनुसरण नहीं करते, यदि आप उनके पाठ नहीं सीखते, यदि आप अपना गृहकार्य नहीं करते। यह बिल्कुल वैसा ही है, सब कुछ बहुत तार्किक है।लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ईश्वर का अस्तित्व नहीं है या कोई अन्य शक्ति मौजूद नहीं है। परमेश्वर की ओर से एक बड़ी, महान शक्ति है। और इसी कारण से, बुद्ध इस संसार में मजबूत, स्वस्थ और शक्तिशाली बने रह सकते हैं। बेशक, यह देश पर निर्भर करता है। कुछ देश में तो, प्रभु यीशु मसीह के मामले में, वे उन्हें तुरन्त मार देते हैं। हे भगवान्! या कई अन्य गुरु। ज़्यादातर गुरुओं को बेरहमी से मारा गया, यहाँ तक कि उनके शिष्यों को भी, जैसे कि ईसा के समय में। आप अतीत में किसी भी गुरु का नाम लें, वे सभी सरकार के नाम पर बेरहमी से मारे गए। तो आप खुश होंगे, प्रसन्न होंगे कि अब भी औलक (वियतनाम) या कई अन्य देशों में लोग चर्च में यीशु और परमेश्वर की आराधना कर सकते हैं। और बौद्ध लोग मंदिर में बुद्ध की पूजा कर सकते हैं। और भिक्षु और भिक्षुणियाँ अभी भी स्वतंत्र हैं कि वे घूम-घूम कर लोगों को अपनी इच्छानुसार शिक्षा दे सकें, या फिर ऑनलाइन भी जा सकें।लेकिन यह भिक्षु, थिच न्हाट टु, वह सब गलत है। मुझे नहीं मालूम कि उन्होंने और क्या गलतियां कीं। मैं औलक (वियतनाम) में नहीं हूं। मैं चौबीसों घंटे उनका अनुसरण नहीं करती। लेकिन उन्होंने सार्वजनिक रूप से जो बातें कहीं, वे उनके अत्यंत निम्न चरित्र और निम्न स्तर को दर्शाने के लिए पर्याप्त हैं। बुद्ध के विरुद्ध इतनी पापपूर्ण बातें कहने के लिए वह अवश्य ही शैतान के स्तर का होगा। वह बुद्ध विरोधी है, ठीक वैसे ही जैसे पोप ईसा मसीह विरोधी है। क्योंकि वह प्रभु यीशु और परमेश्वर की निंदा करता है, जबकि वह परमेश्वर की महिमा और यीशु की प्रसिद्धि पर भरोसा करता है, और यीशु के विश्वासियों पर भरोसा करके, उनसे लाभ उठाता है ताकि वह ईसाई धर्म में सर्वोच्च पद, पोप बन सके। और वह अभी भी यीशु की निंदा करने के लिए अपना मुंह खोलता है, यहाँ तक कि परमेश्वर की भी निंदा करता है। तो यदि वह ईसा-विरोधी नहीं है, तो फिर वह कौन है? आप स्वयं से पूछिए। यह साधु वही है। थिच नहत टु, वह वही है। वह जो उपदेश देते हैं उनके अनुसार उन्हें बौद्ध धर्म के बारे में कुछ भी पता नहीं है - केवल उपदेश देते हैं, "ओह, पैसा दो, पैसा दो।"
Thích Nhật Từ asking for donations from philanthropists: आज, मैं यह भी आशा करता हूँ कि प्रत्येक व्यक्ति, उदाहरण के लिए, जिसकी A, B, या C स्थान पर दान करने की योजना है, और जिसने इन योगदानों के लिए एक वार्षिक राशि अलग रखी है, तो आप वह सारी राशि मुझे दे सकते हैं। वैसे भी सभी एक जैसे ही होंगे।
अधिकतर मैं इसके बारे में ही सुनती हूं। कई भिक्षु भी ऐसे ही हैं। खैर, कोई बात नहीं, जब तक वे सिर्फ पैसे मांगते हैं और कुछ नहीं। लेकिन यदि वे लोगों से उनका वह विश्वास छीन लेते हैं जिसे उन्होंने जीवन भर बनाया है, तो यह पाप है, बहुत पाप है।मैंने उन्हें, भिक्षुओं या भिक्षुणियों को सलाह दी है कि यदि आप ज्यादा नहीं जानते या कुछ भी नहीं जानते तो चुप रहें। अंदर और अधिक जानें, बुद्ध से प्रार्थना करें कि वे उन्हें शिक्षा दें, उन्हें थोड़ी जानकारी, प्रेरणा दें, यदि वे इसे प्राप्त कर सकें। बुद्ध से शिक्षा और आशीर्वाद प्राप्त करना आसान नहीं है, भले ही वे हमेशा देते हैं। ईश्वर सदैव देते हैं, परन्तु हर किसी को ईश्वर का आशीर्वाद, उत्तर या निर्देश प्राप्त नहीं होता। यही बात है। बुद्धों की या परमेश्वर की शिक्षा प्राप्त करने के लिए आपको ईमानदार, शुद्ध और सदाचारी होना होगा। यह ऐसा है जैसे असली पेय लेने के लिए आपका गिलास साफ़ होना चाहिए!जब किसी ने पूछा, "क्या ईश्वर है या नहीं है?", तो बुद्ध ने कहा, "वैसा ईश्वर कोई नहीं है", जिस तरह से मनुष्य मानवीय शब्दावली और मानवीय कल्पना में इसका वर्णन करते हैं। उनका यही मतलब था। इसलिए उन्होंने कहा, "वैसा ईश्वर कोई नहीं है, बल्कि एक चीज़ है जिससे सभी चीज़ें आईं हैं, और सभी चीज़ें उसी में लौट जाएँगी।" बुद्ध ने बौद्ध सूत्र में यही कहा है। तो अगर वह एक चीज़ ईश्वर नहीं है, तो फिर क्या है? यह कोई भी बात कैसे हो सकती है और फिर हम सब कहां से आते हैं? यदि ईश्वर नहीं है तो...हमें उन्हें ईश्वर कहने की जरूरत नहीं है। यह एक महान, महान, महानतम दयालु, करुणामय, कृपालु, प्रेममय, दयालु, अकथनीय, सर्व-ज्ञानी ऊर्जा - बस इतना ही कहिए - जिससे हम विकसित हुए और हम मनुष्य बनें, संत और मुनि बनें। और फिर धीरे-धीरे, यदि हम सचमुच उस प्रश्न पर गहराई से विचार करना चाहें और जानना चाहें कि हम कौन हैं, तो हमें इसका उत्तर शायद कुछ धार्मिक ग्रंथों में मिल जाएगा, शायद कुछ प्रबुद्ध महान मास्टर के माध्यम से, यदि हम काफी भाग्यशाली हैं।बहुत से लोग ईश्वर को विभिन्न देशों के कारण अलग-अलग नामों से पुकारते हैं, तथा उस प्रबुद्ध व्यक्ति के स्तर के कारण भी। क्योंकि कभी-कभी वे सर्वशक्तिमान ईश्वर से सीधा संपर्क नहीं कर पाते - ओह, यह ऐसी चीज है जो आपके पास हमेशा नहीं हो सकती। लेकिन उनके पास ईश्वर का प्रतिनिधि हो सकता है। उदाहरण के लिए, बुद्ध या ईसाई धर्म के गुरुओं की तरह, उनमें से कई ईश्वर के बारे में उपदेश देते हैं। वास्तव में, वे स्वर्ग में, अपने लोक में, महान संत हैं, परमेश्वर के महान पुत्र और पुत्रियाँ हैं। इसलिए यदि आप उन पर विश्वास करते हैं, तो भगवान भी आपको आशीर्वाद देंगे।क्योंकि देश के राजा की तरह आप हमेशा उनके पास जाकर बात नहीं कर सकते। लेकिन राजा के पास देश की विभिन्न समस्याओं, विभिन्न मुद्दों के लिए, देश चलाने के लिए, विभिन्न प्रकार के विभागों के मंत्री होते हैं। लेकिन राजा हमेशा वहाँ रहता है। राजा के बिना कोई प्रधानमंत्री नहीं, कोई मंत्री नहीं। राजा एक प्रतीक, स्थायी सरकार, स्थायी नेता होता है। और आजकल, हमारे पास राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री आदि हैं। यह राजा के समान है, लेकिन यह राजा जितना स्थायी नहीं है। इसलिए, कई देश राजा को प्राथमिकता देते हैं। उनका मानना है कि यह अधिक स्थिर और अधिक विश्वसनीय है। वे अधिक स्थिर महसूस करते हैं, उनके पास हमेशा कुछ न कुछ रहता है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, वे आते हैं और जाते हैं, आते हैं और चले जाते हैं। खैर, मेरे लिए तो कभी-कभी मुझे भी चक्कर आता है, हमेशा यह चुनाव, वह चुनाव, हर कुछ वर्षों में इतना पैसा खर्च होता है, इतना समय,इतनी लड़ाई, कभी-कभी हिंसा के साथ भी, राष्ट्रपति बनने के लिए। और फिर कुछ साल बाद, वे आपको बाहर निकाल देते हैं और किसी दूसरे की पूजा करने लगते हैं। तो, शायद यह किसी तरह से अच्छा है। यदि राष्ट्रपति अच्छा नहीं है तो उन्हें बदलना ही बेहतर है।लेकिन किसी राज्य में यदि राजा अच्छा हो तो लोग उन्हें हमेशा अपने पास रखना पसंद करते हैं। यह भी बहुत अच्छा है। वे स्थिर महसूस करते हैं, उनका देश स्थिर है। राजाओं वाले कई देशों में, हम देखते हैं कि कुछ राजा-रानियां, राजकुमार और राजकुमारियां अभी भी पृथ्वी पर बचे हुए हैं, और वे अच्छा काम कर रहे हैं। मैं एक राज्य में रहना पसंद करती हूं, एक ऐसे देश में जिसका एक राजा और एक रानी हो, और यह एक तरह से अधिक स्थिर लगता है। लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता - यदि कोई देश अच्छा और समृद्ध है, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम राष्ट्रपति बदलते हैं। यह भी अच्छा है, शायद नए विचार आएं, अधिक कुशलता से काम हो, जैसी चीजें हों। यदि नहीं तो स्थिति बहुत अराजक हो सकती है। यह केवल प्रतिस्पर्धा के बारे में है। यह केवल उस सदन की सीट के बारे में है, चाहे वह व्हाइट हाउस हो, "गुलाबी" सदन हो, "बैंगनी" सदन हो। लेकिन कई देश जहां राजा हैं, वे बहुत स्थिर हैं। वे अच्छे आचरण वाले हैं और उन्हें एक अच्छे राजा पर गर्व है। और उनके देश किसी न किसी तरह बहुत स्थिर, बहुत स्थिर और समृद्ध हैं। फिर राजा या रानी का होना भी बहुत अच्छा है।जैसा कि हम जानते हैं, सभी देशों में उनका अपना ईश्वर होता है, चाहे वह धर्म के साथ हो या न हो। वे पहले से ही जानते हैं कि ईश्वर का अस्तित्व है, और वे हमेशा ईश्वर से किसी भी चीज़ के लिए प्रार्थना करते हैं- चाहे उनके जीवन में कोई परेशानी हो या उन्हें किसी भी चीज़ की आवश्यकता हो। इस प्रकार, भगवान के लिए, भगवान में विश्वास करने के लिए भी, वे एक-दूसरे से लड़ते हैं, और यह बुरी बात है। यही समस्या है जब लोग कट्टरपंथी होते हैं और वास्तविक शिक्षा का पालन नहीं करते।Photo Caption: भिन्नता से कोई फर्क नहीं पड़ता