अदृश्य प्रियतम से कानाफूसी - "कबीर (शाकाहारी) के गीत" से चयन 2 का भाग 12025-06-11ज्ञान की बातेंविवरणडाउनलोड Docxऔर पढो“वह आंतरिक और बाहरी दुनिया को अविभाज्य रूप से एक बनाता है; चेतन और अचेतन, दोनों ही उनके पादपीठ हैं। वह न तो प्रकट है, न छिपा है, वह न तो प्रकट है, न अप्रकट है।”