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अपने गांव से दूर रहना अक्सर उन लोगों के लिए असहनीय होता है, जिनके पास उस भूमि की बहुत सारी मीठी यादें होती हैं, जहां उन्होंने अपना बचपन बिताया है। "लगता है अतीत का हमारा गाँव पीले फूल क्रिसेन्थेमम की हरी पत्तियों पर अब भी खिले हैं कंकरीली गलियाँ, काई से ढके आँगन, और पुराने टाइलों वाले मंदिर सुख में हो या दुख में इस भूमि ने हमारा सच्चा साथ निभाया। ओ मेरे गाँव, आज भी मैं यह याद करती हूँ।"तुम जब से गए हो, मैंने हमारे मूल भूमि को देखने की ख्वाहिश की है, धैर्य से वह हमारी वापसी का इंतजार करती रही है। अर्धचंद्राकार चाँदों और सूर्यास्तों के दौर से। बचपन से, मैंने उस साधारण गाँव के झोंपड़े को छोड़ दिया था, फिर बडी हुई और शहर में प्रेम में पड़ गई। यादों की हवाएँ जंगली घास में बहती हैं विरह में, मुझे याद आती है वह हरा बांस का बाग लगता है अतीत का हमारा गाँव पीले फूल क्रिसेन्थेमम की हरी पत्तियों पर अब भी खिले हैं कंकरीली गलियाँ, काई से ढके आँगन, और पुराने टाइलों वाले मंदिर सुख में हो या दुख में इस भूमि ने हमारा सच्चा साथ निभाया। ओ मेरे गाँव, आज भी मैं यह याद करती हूँ गर्मी की दोपहर में झूलते झूले की आवाज़ लंबी रातों में तालाब के किनारे की कथाएँ, एक नाव से बहते हुए मीठे दुःख के सुर गूंजते हैं। चावल और मक्का के खेत यहाँ हैं, और वहाँ धान की फसल, गाँव की खुशबू आश्चर्यजनक रूप से ताजगी देती है हर साल, फूलों के मौसम का निशान हवा में हलके से बहकर हमसे मिलने आता है। आधे जीवन के लिए मातृभूमि से दूर मेरी उम्मीदें धुंधली हो गई हैं इसे फिर से देखने की! पुराना घर अब नहीं रहा, और कुछ पुराने दोस्त सभी अपने-अपने रास्तों पर चले गए। मैं रास्ते में बेपरवाह थी, बस अब समझ पाइ हूँ कि अब मेरा कोई घर नहीं। गाँव की याद आती है, जो अब कहीं दिखाई नहीं देती, सफ़ेद बादल हजारों दिशाओं में गायब हो जाते हैं।किसी के पिछले जीवन की स्मृति अक्सर दुःखद होती है, भले ही वह समय गौरवशाली रहा हो। एकाएक हमें भौतिक अस्तित्व की क्षणभंगुर प्रकृति का गहरा अहसास होने लगता है और हम स्वर्ग में अपना शाश्वत गौरव पुनः प्राप्त करने के लिए सच्चे ज्ञान और मुक्ति की खोज में लग जाते हैं।शाही महल के पास से गुज़रते हुए बीते युग की रानियों की झलक... कोमल उदासी!"मेरे प्रिये, क्या तुम्हें याद नहीं? सुनहरी चाल जैसे फ्यूशिया कमल की पंखुड़ियाँ, सवेद महल और जड़े के मंडप, प्राचीन राजधानी में, पिछले प्रेम की बुलाती बाँहें वीणा का स्वर गूंजता है संध्या के राजमहल मेंमेरे प्रिये, क्या तुम्हें याद नहीं? रेशमी बिस्तर, मखमली तकिए, कोमल होंठ चमकते हैं जैसे शरद की चंद्रमुखी उसकी सुंदरता और शालीनता हज़ारों वर्षों तक राष्ट्र को अब मंत्रमुग्ध करती है…वो तो बस समय ही था... उतार-चढ़ाव के पंखों पर पर उड़ान भरते हुए वह बेफिक्र देवी हर्ष में मुस्काई मानव के विषादपूर्ण हृदय की चिंता किए बिना न ही महलों के खंडहर की!एक एकाकी यात्रा निरंतर परिवर्तनों के बीच, मलिन कंकड़ सड़क किनारे बिखरे थे... फूलों ने चमकते हुए पूर्व छवियाँ प्रतिबिंबित कीं प्राचीन काल की निर्मल झील में।प्रिय महारानी के पश्चिमी महल से, दूर से संगीत की गूंज उठी, उनकी कोमल हाथों ने मनमोहक राग बजाया चंदन की महक हलके से फैलती रही सम्राट का हृदय मंत्रमुग्ध हो गया!ओ वह अतीत... वह स्वर्णिम दिन! विदाई की यादें... ओ वह अतीत... वह स्वर्णिम दिन! विदाई की यादें...मैं वर्तमान में चलती हूँ, बारिश मेरे हृदय से बह रही हैं!ओ वह अतीत... वह स्वर्णिम दिन! ओ वह अतीत... वह स्वर्णिम दिन! ओ वह स्वर्णिम दिन...इस सांसारिक संसार में ऐसा कुछ भी नहीं है जो सदैव रहे; कोई भी भव्य योजना एक क्षण में नष्ट हो सकती है। एक गुलाबी दिल एक दिन एक गीत की तरह खुश होता है, लेकिन जब एक आपफान आता है तो वह तुरंत मर जाता है; मनुष्य अकेलापन और खोया हुआ महसूस करता है, क्षणभंगुर जीवन से बचकर एक ऐसी जगह खोजना चाहता है जो शांतिपूर्ण, चिंतामुक्त और शांत हो।एक प्राचीन परीकथा की यादें एक समय की बात है, जब देवताएं मनुष्यों के लिए करुणा दिखाते थे एक मासूमियत का युग, जब मैं रात को स्वर्ग का सपना देखती थी जीवन सुंदर था, और स्वप्न था आनंदमय।मैं तरसती हूँ मेरे बचपन के दिनों के लिए, विद्यालय की किताबें, माँ-पापा द्वारा दिया गया भोजन और कपड़े। उदासी के क्षणों में, मेरी कल्पना में एक देवता प्रकट हुए, चमत्कार देने और हालात को बदलने के लिए।अब जब मैं जवान हो गई हूँ, ज़िंदगी उथल-पुथल भरी लगती है खाली हाथों से, अपना भविष्य मुझे खुद ही तय करना है। पुराने सपनों ने अब उड़ान भर ली है दूर की एक भूमि के लिए, और देवताओं ने भी मनुष्यों का साथ छोड दिया है।कुछ पल ऐसे आते हैं जब मेरा दर्द बयां नहीं हो पाता, जीवन छलपूर्ण है, और लोग बेईमान! मैं तरसती हूँ कुछ आस्था के लिए आशाओं को संजोने के लिए, मेरे बचपन के समय की तरह।यदि आपके पास कोई अतिरिक्त देवता हो, तो कृपया मुझे एक उधार दे दो, मुझे इस अंधकार के लोक से बचाने के लिए अभी इसी क्षण; अगले जीवन में वादा मत करना, मैं धीरे-धीरे इंतज़ार करते हुए मुरझा जाऊँगी।मानव भाग्य अब भी बंधा है सांसारिक मोह और माया में, जो हमें इन बंधनों से मुक्त होने नहीं देता। हम जितना छूटना चाहते हैं, उतना ही और उलझते जाते हैं। हमारी दशा पर करुणा करके, आत्मज्ञानी गुरुएं बार-बार इस धरती पर अवतरित हुए हैं, हमें हमारे बंधनों से मुक्त कराने के लिए, लेकिन बहुत अधिक बार उन्हें निराशा में आँसू बहाने पड़े हैं, क्योंकि मनुष्यों को बचाना कभी आसान कार्य नहीं है। "काश हम एक ही मंज़िल की ओर एक साथ सफर कर पाते। मैं ये बेड़ियाँ तोड़ देना चाहती हूँ... ओह! मेरी हताशा!"कहाँ, कहाँ आप जा रहे हो, मेरे शीतकालीन सूरज? क्या, क्या आप मुझे याद नहीं करोगे समंदर के इस पार रहकर?कहाँ, कहाँ आप चले गए हो, मेरे कोमल चंद्रमा? कैसे, कैसे मुझे तुम्हारी याद आती है नीले पानी के इस पार खडी होकर!काश हम एक ही मंज़िल की ओर एक साथ सफर कर पाते। मैं ये बेड़ियाँ तोड़ देना चाहती हूँ... ओह! मेरी हताशा!कहाँ, कहाँ हो तुम अब, मेरे एकमात्र? क्या कोई तुम्हें नहीं थामेगा जब तुम रोते हुए जागते हो?कब मैं तुमसे मिल पाऊँगी, मेरे एकमात्र? क्या कोई मुझे बताएगा कि क्या तुम कभी लौटोगे भी?इतना दयालु होने के लिए धन्यवाद।Ms. Debbie Reynolds: यह बहुत ही अच्छी बात है। सुप्रिम मास्टर चिंग हाई। बहुत बढ़िया! बहुत बढ़िया! सुंदर! यह वास्तव में किसी को ठीक जगह में डालने की बात है। एक छोटी सी लड़की के लिए, आपकी आवाज़ निश्चित रूप से बहुत सुन्दर है। क्या अद्भुत शब्द हैं! मुझे लगता है कि आज रात बहुत खास थी। क्या यह उनके लिए अद्भुत और प्रिय बात नहीं थी? मेरा मतलब है... (जी हां।) मैं तो डर के मारे मर गई होती। उन्होंने बहुत सुन्दर प्रदर्शन किया। मुझे यकीन नहीं हो रहा कि उन्होंने ऐसा किया। उन्होंने मुझसे कहा था कि उन्हें बता दें कि यह आसान होगा, लेकिन आपको पता है कि यह बहुत डरावना है। मुझे उन पर बहुत गर्व है। क्या वह अद्भुत नहीं थी? वह खूबसूरती से गाती हैं।